हरियाणा के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन जल्द ही जींद-सोनीपत रूट पर दौड़ेगी। यह ट्रेन पर्यावरण के लिए अनुकूल है। यह ट्रेन 1 जुलाई 2025 से शुरू होगी। हरियाणा के लोग इस खबर से बहुत खुश हैं। आइए जानते हैं इस ट्रेन के बारे में विस्तार से।
ट्रेन कब और कहां दौड़ेगी?
हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल 31 मार्च 2025 को शुरू हो चुका है। यह ट्रेन जींद से सोनीपत के बीच 89 किलोमीटर के रूट पर चलेगी। ट्रायल के बाद अब यह ट्रेन 1 जुलाई 2025 से नियमित रूप से चलेगी। यह रूट दिल्ली डिवीजन के अंतर्गत आता है। रेलवे ने इस रूट को चुना क्योंकि यहां ट्रैफिक कम है। साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर भी अच्छा है। यह ट्रेन 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। इसमें 1200 हॉर्सपावर का इंजन है। यह एक बार में 2638 यात्रियों को ले जा सकती है।
हाइड्रोजन ट्रेन क्यों खास है?
यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर चलती है। यह बिजली पैदा करने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का इस्तेमाल करती है। इसका एकमात्र उप-उत्पाद पानी और गर्मी है। यह ट्रेन कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य हानिकारक गैसें नहीं छोड़ती। इसलिए, यह पर्यावरण के लिए बहुत अच्छी है। यह डीजल ट्रेनों की तुलना में शांत भी है। इससे यात्रियों को आरामदायक यात्रा मिलेगी। यह ट्रेन भारत को जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल करेगी, जो हाइड्रोजन ट्रेनें चलाते हैं।
प्रोजेक्ट और लागत
यह ट्रेन ‘हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ प्रोजेक्ट का हिस्सा है। रेल मंत्रालय ने 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है। इसके लिए 2800 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। प्रत्येक ट्रेन की लागत लगभग 80 करोड़ रुपये है। रूट पर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 70 करोड़ रुपये और खर्च होंगे। जींद में हाइड्रोजन प्रोडक्शन और रिफ्यूलिंग स्टेशन बनाया गया है। यह स्टेशन 1 मेगावाट पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर से लैस है। यह प्रतिदिन 430 किलोग्राम हाइड्रोजन बनाएगा। स्टेशन में 3000 किलोग्राम हाइड्रोजन स्टोरेज और दो डिस्पेंसर भी हैं।
हरियाणा के लिए गर्व की बात
हरियाणा के जींद में देश का पहला हाइड्रोजन गैस प्लांट तैयार है। यह ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बनाई गई है। इसमें 8 कोच हैं। दो कोच हाइड्रोजन सिलेंडर स्टोर करने के लिए हैं। यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक है। हरियाणा के लोग इसे अपनी उपलब्धि मान रहे हैं। यह ट्रेन न केवल पर्यावरण बचाएगी, बल्कि राज्य को ग्रीन ट्रांसपोर्ट में अग्रणी बनाएगी।