चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की तरफ से एक निर्णय लिया गया है. इस नए फैसले के अनुसार सरकार नियमों के तहत अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी सुरक्षा से संबंधित मामलों को पेश करने और उन पर विचार करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल मॉडयूल विकसित किया है. जल्द ही पोर्टल लॉन्च होगा. मानसून सेशन के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह जानकारी दी ज़ब पंचकूला विधायक चंद्र मोहन ने अतारांकित सवाल पूछा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चित्ता) अधिनियम के तहत पांच साल से कम सेवा वाले संविदात्मक कर्मचारी इस अधिनियम की सीमा में नहीं रहेंगे.
कब शुरू होगा लाभ
चंद्र मोहन नकी तरफ से अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा देने के प्रस्ताव के विचाराधीन होने को लेकर सवाल किया गया था. उन्होंने पूछा कि यह लाभ कब तक शुरू होगा. क्या पांच साल से कम सेवा वाले अस्थायी कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा. इसके अतिरिक्त चंद्र मोहन ने पूछा कि क्या अन्य सरकारी विभागों या राज्य विश्वविद्यालयों (जैसे कुरुक्षेत्र) जहां इन अस्थायी कर्मचारियों ने पहले काम किया हुआ है और ईपीएफ में योगदान दिया है, की सेवा अवधि वर्तमान सेवा में गिनी जाएगी.
मुख्यमंत्री ने दिया यह जवाब
इस पर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी नियमों के तहत सरकार के किसी विभाग में आंशिक रूप से और किसी बोर्ड, निगम, प्राधिकरण में किसी पद पर की गई संविदा सेवा को पांच साल की संविदा सर्विस निर्धारित करने के प्रयोजनार्थ गिना जाएगा. इसके बाद अन्य सरकारी विभागों में की गई सेवा अवधि को पांच वर्ष की सरकारी सेवा निर्धारित करने के प्रयोजनार्थ काउंट किया जाएगा.
राज्य विश्वविद्यालयों में की गई संविदा सेवा को नहीं जाएगा गिना
हालांकि कुरुक्षेत्र विश्वद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालयों में सेवा अवधि के बारे में, जहां ऐसे अस्थायी कर्मचारियों ने पहले कार्य किया हो और ईपीएफ में कंट्रीब्यूशन दिया हो, यह साफ किया जाता है कि हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी रूल्स के तहत सरकारी संस्था की परिभाषा के मुताबिक सिर्फ सरकारी विभागों, बोर्ड, निगम या प्राधिकरण के संविदात्मक कर्मचारी ही इस अधिनियम और नियमों के तहत लाभ के लिए पात्र रहेंगे. ऐसे में राज्य विश्वविद्यालयों में की गई संविदा सेवा को इस अधिनियम और नियमों के तहत लाभ के लिए नहीं काउंट नहीं किया जाएगा.